कमलनाथ सरकार का डायवर्सन संबंधी फैसला आदिवासियों का अपमानः गजेंद्रसिंह पटेल

   भोपाल। कमलनाथ सरकार ने भू राजस्व संहिता की धारा165 व 172 में संशोधन कर आदिवासी क्षेत्रों में गैर आदिवासियों द्वारा जमीन के डायवर्सन पर 10 वर्ष की बाध्यता को समाप्त कर दिया है। सरकार का यह निर्णय मध्यप्रदेश के करोड़ों आदिवासियों का अपमान है। इस फैसले के जरिए कांग्रेसी की सरकार आदिवासियों को संविधान द्वारा दिये गए अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही है, जिसे प्रदेश के आदिवासी कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे और सरकार के खिलाफ जन आंदोलन करेंगे। यह बात पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद श्री गजेंद्रसिंह पटेल ने कमलनाथ सरकार के इस निर्णय की आलोचना करते हुए कही।


                सांसद श्री गजेंद्रसिंह पटेल ने कहा कि संविधान की पांचवी अनुसूची का पैरा 5(2)(अ) अनूसूचित क्षेत्रों में अथवा जनजाति के किसी व्यक्ति की भूमि के हस्तांतरण को प्रतिबंधित करता है। ऐसे में मध्यप्रदेश सरकार का यह निर्णय संविधान की पांचवी अनुसूची के इस प्रावधान का सरासर उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि वास्तव में छिंदवाड़ा, मंडला, झाबुआ, खरगौन, डिंडोरी, धार सहित प्रदेश के अन्य आदिवासी जिलों में कांग्रेस नेताओं के चहेतों ने आदिवासियों की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है और प्रदेश सरकार इस निर्णय के द्वारा अवैध कब्जे को वैध करने का रास्ता बना रही है। श्री पटेल ने कहा कि प्रदेश सरकार का यह निर्णय उन भूमाफियाओं को सशक्त बनाएगा, जिनकी नजरें आदिवासियों की भूमि पर गड़ी हुई है।


                सांसद श्री पटेल ने प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वह अपने इस निर्णय को तत्काल वापस ले, वर्ना भारतीय जनता पार्टी और प्रदेश के आदिवासी सरकार के खिलाफ सड़कों पर संघर्ष के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जनजातीय समुदाय के एक भी व्यक्ति की जमीन का अवैध हस्तांतरण नहीं होने देगी। श्री पटेल ने सत्ता पक्ष के अनुसूचित जनजाति के विधायकों से अपील की कि अगर उनमें अपने लोगों के प्रति थोड़ी भी जिम्मेदारी की भावना है, तो वे सरकार द्वारा इस फैसले को वापस न लिए जाने की स्थिति में इस्तीफा दे दें। उन्होंने प्रदेश के राज्यपाल महोदय से भी सरकार के इस फैसले को निरस्त करने की मांग की है।