सीएए के समर्थन में सड़को पर उतरा होशंगाबाद,निकाली तिरंगा यात्रा

होशंगाबाद- नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में चल रहे जन जागरण अभियान के अंर्तगत सोमवार को एस एन जी स्टेडियम से नागरिक अधिकार मंच के तत्वावधान में हजारों नागरिक हाथों में तिरंगा लिए सड़को पर उतरे भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारों से सारा माहौल गूंज उठा। कार्यक्रम के प्रारंभ में विद्या भारती के छात्रों के द्वारा लघु नाटक प्रस्तुत किया गया जिसमें नागरिकता कानून के विषय में जागरूकता का संदेश दिया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में भारत भारती बैतूल के सचिव और भारत सरकार द्वारा प्र्रतिष्ठ जल प्रहरी पुरूस्कार से सम्मानित मोहन नागर ने सीएए के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह कानून नागरिकता देने वाला कानून है किसी की नागरिकता छीनने वाला नहीं है उन्होनें कहा कि यह कानून दोनों सदन से पास होकर के लागू किया गया है इससे किसी को भयभीत होने की जरूरत नहीं है इस कानून का हम सभी को समर्थन करना चाहिए देश में एकता और अखंडता के लिए केन्द्र सरकार द्वारा कानून बनाया गया है। नागर ने कहा कि यह कानून पाकिस्तान, बंगलादेश, और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर आए हिन्दू, सिक्ख, बौद्ध, ईसाई, पारसी, जैन को नागरिकता देकर संरक्षण करने का कानून है इस दौरान हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने भारत माता की जय का नारा लगाकर नागरिकता संशोधन कानून को अपना समर्थन दिया। कार्यक्रम के दौरान मंच पर गोपाल प्रसाद खड्डर, नर्मदा मुनि शिव शक्ति आश्रम, सुरिन्दरजीत सिंह गुरूसिंह सभा होशंगाबाद के प्रधान, स्वामी राशेश्वरानंद सरस्वती तालनगरी आश्रम, मौजूद थे।
मंचीय कार्यक्रम के बाद भव्य रैली के रूप नागरिक  शहर के मुख्य मार्गो से तिरंगा यात्रा के रूप में निकले  इस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं सिर पर भगवा साफा पहने हुए चल रहीं थी इस दौरान रैली में चल रहे युवाओं ने आतंकवाद से आजादी, अफजल गेंग से आजादी, नक्सलवाद से आजादी, टुकड़ा टुकड़ा गेंग से आजादी के नारे लगाए। तिंरगा यात्रा का जगह जगह पर स्थानीय लोगों ने पुष्प वर्षा करके स्वागत और  अपना समर्थन दिया। रैली के बाद महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम संबोधित एक ज्ञापन नागरिक अधिकार मंच के सदस्यों के द्वारा एसडीएम आदित्य रिछारिया को सौंपा गया।
 रैली के समापन पर एसएनजी स्टेडियम में भारत माता की भव्य महाआरती की गई साथ ही राष्ट्रगान के साथ महारैली का समापन किया गया। मंच का संचालन चाणक्य बक्शी ने किया।