उपचुनाव टलने के गणित में भाजपा फायदे में

भोपाल । 27 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव से प्रदेश सरकार का भविष्य तय होना है। कांग्रेस भी उपचुनाव में बाजी पलटने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाने का प्रयास करेगी। चुनाव की तैयारियां दोनों तरफ शुरु हो गईं हैं। चुनाव आयोग ने अभी उपचुनाव कराने की तारीख की घोषणा नहीं की है, लेकिन सितंबर के अंत में चुनाव कराने के संकेत अवश्य दिए हैं। भाजपा व प्रदेश सरकार अभी चुनाव कराने के मूड में नजर नहीं आ रही है। चुनाव को इस साल के अंत तक टालने के लिए प्रदेश सरकार के सामने ठोस वजह कोरोना संक्रमण भी है।


 उपचुनाव के टलने का लाभ भाजपा को ही मिलेगा। क्योंकि उपचुनाव के लिए भाजपा के प्रत्याशी पहले से तय हैं। इन प्रत्याशियों को अपने-अपने क्षेत्रों में नए सिरे से चुनाव के लिए जमीन तैयार करने का पर्याप्त समय मिल जाएगा। दूसरी तरफ कांग्रेस अभी सर्वे में हुई उलझी हुई है। कांग्रेस कोरोना संक्रमण के कारण यह भी नहीं बोल पा रही है कि तत्काल चुनाव कराएं जाएं। कांग्रेसी बस इतना अवश्य कह रहे हैं कि भाजपा परिस्थितियों का लाभ उठाने में माहिर है।


अभी इसलिए चुनाव में जाने से हिचक रही है भाजपा


 भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दावा किया है कि भाजपा किसी भी समय चुनाव का सामना करने के लिए तैयार है। उसे किसी का डर नहीं हैं। क्योंकि सामने कोई है नहीं, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण विचार करना होगा कि अभी उपचुनाव कैसे संभव हैं। चुनावी सभाओं व रैलियों में शारीरिक दूरी का पालन कराना क्या संभव हैं? कोरोना के साथ वोट मांगने के लिए कार्यकर्ता घर-घर दस्तक दे सकता है? वर्तमान हालातों में भाजपा के यह सवाल वाजिब लगते हैं। चुनाव टालने के और भी कारण हैं। पहला भाजपा इस बात से सहमी हुई है कि कांग्रेस विधायकों की खरीद-फरोख्त का माहौल बनाकर चुनाव में इसका लाभ उठाना चाहती हैं। दूसरा कांग्रेस में भाजपा में आए नेताओं का अभी कार्यकर्ताओं के साथ समन्वय नहीं बन पाया है।


कांग्रेस के पास अब खोने के लिए कुछ नहीं बचा है


 आपसी खींचतान में कांग्रेस के हाथ से प्रदेश की सरकार हाथ से निकल चुकी है। कांग्रेसियों को भी इस बात का अहसास है कि अब भाजपा के साथ सत्ता छीनना आसान नहीं हैं। बस कांग्रेस की सारी उम्मीदें उसके विधायकों के खरीद-फरोख्त के आरोपों पर टिकी हैं। वह उपचुनाव तक इस बात को मतदाताओं की स्मृति में रखना चाहती है। इसलिए वह चाहती है कि चुनाव गरमा-गरमी में हो जाए और हारी हुई बाजी जीत में बदल जाए, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण कांग्रेस खुलकर भी यह मांग नही कर पा रही है कि अभी चुनाव कराएं जाएं। परिस्थतियां भी भाजपा रणनीति के अनुकूल नजर आ रही हैं। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रमोहन नागौरी का मानना है कि भाजपा परिस्थतियों का लाभ उठाने में माहिर हैं, लेकिन वह इस बार कुछ भी करे लें, जीत नहीं पाएगी। क्योंकि मतदाता वाकिफ है कि भाजपा ने किस तरीके से सत्ता हासिल की है।


चुनाव टलने से भाजपा को यहां फायदा होगा


-उपचुनाव के लिए उसके प्रत्याशी पहले से तय हैं। भाजपा ने आधे के लगभग उम्मीदवारों को मंत्री बनाकर चुनाव में उनका वजन पहले ही बढ़ा दिया है।


- उम्मदीवार अपने-अपने क्षेत्रों में विकास कार्य कराने के लिए सक्रिय हो गए हैं। सरकार ने जिन-जिन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने हैं, उन क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए खजाना खोल दिया है। 2-3 महीने इन क्षेत्रों की कुछ तस्वीर बदली नजर आएगी।


- कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को मूल कार्यकर्ताओं से संबंध बनाने का समय मिल जाएगा।